श्रीनाथजी पीठ: उत्कृष्टता केंद्र, नाथद्वारा (राजसमंद)

प्रो अमरिका सिंह
माननीय कुलपति

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर ने वर्ष 2012-13 के दौरान राज्य सरकार को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस श्रीनाथपीठ के लिए भूमि आवंटन हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया था । जिसके अनुसार राज्य सरकार द्वारा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर को नाथद्वारा - उदयपुर मार्ग पर ग्राम बिलोता, तहसील देलवारा, एनएच 58. में भूमि आवंटित कर दी गई है ।

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत नाथद्वारा में ज्ञान आधारित समाज के निर्माण और मानव-विकास के लिए क्षेत्र में विद्यार्थियों तथा नियमानुसार आमजन को अध्ययन का समुचित अवसर उपलब्ध कराने के लिए अपना परिसर विस्तार श्रीनाथजी पीठ एक्सीलेंस करने का निर्णय लिया है। श्रीनाथ स्वीट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक विज्ञान के संबंध में को स्थापित करेगा यहां प्राचीन भारत के साथ आधुनिक वैज्ञानिक सोच को संरक्षित और विकसित किया जाएगा ।

श्रीनाथजी पीठ नाथद्वारा मैं वैष्णव तीर्थ के साथ-साथ ज्ञान तीर्थ के रूप में भी विकसित होगा जो नाथद्वारा आने वाले पर्यटकों को श्री वैष्णव धर्म दर्शन के अकादमिक पहलुओं को जानने समझने और सीखने के लिए अवसर प्रदान करेगा ।क्षेत्र के विद्यार्थियों को परंपरागत शिक्षण के साथ ज्ञान विज्ञान आधारित कौशल विकास दक्षता मुल्क तथा रोजगार परक पाठ्यक्रमों में अध्ययन का अवसर प्रदान करेगा ।

नई राष्ट्रीय शिक्षानीति में भी स्थानीय एवं जनजातीय संस्कृति, लोक-परम्परा आदि के अनुशीलन को प्रोत्साहन दिया गया है। इसमें शास्त्र परम्परा और लोक परम्परा दोनों के संरक्षण पर बल दिया गया है। हमारा विश्वविद्यालय वेद-शास्त्र और भक्ति की लोकोन्मुखी परम्परा के माध्यम से लोक एवं शास्त्र के समन्वय तथा राष्ट्रीय एकता, अखण्डता और एकात्मता के भाव को विकसित करेगा ।

प्रो अमरिका सिंह
माननीय कुलपति

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर ने वर्ष 2012-13 के दौरान राज्य सरकार को सेंटर ऑफ एक्सीलेंस श्रीनाथपीठ के लिए भूमि आवंटन हेतु प्रस्ताव प्रेषित किया था । जिसके अनुसार राज्य सरकार द्वारा मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय उदयपुर को नाथद्वारा - उदयपुर मार्ग पर ग्राम बिलोता, तहसील देलवारा, एनएच 58. में भूमि आवंटित कर दी गई है ।

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत नाथद्वारा में ज्ञान आधारित समाज के निर्माण और मानव-विकास के लिए क्षेत्र में विद्यार्थियों तथा नियमानुसार आमजन को अध्ययन का समुचित अवसर उपलब्ध कराने के लिए अपना परिसर विस्तार श्रीनाथजी पीठ एक्सीलेंस करने का निर्णय लिया है। श्रीनाथ स्वीट सेंटर ऑफ एक्सीलेंस प्राचीन भारतीय ज्ञान परंपरा और आधुनिक विज्ञान के संबंध में को स्थापित करेगा यहां प्राचीन भारत के साथ आधुनिक वैज्ञानिक सोच को संरक्षित और विकसित किया जाएगा ।

श्रीनाथजी पीठ नाथद्वारा मैं वैष्णव तीर्थ के साथ-साथ ज्ञान तीर्थ के रूप में भी विकसित होगा जो नाथद्वारा आने वाले पर्यटकों को श्री वैष्णव धर्म दर्शन के अकादमिक पहलुओं को जानने समझने और सीखने के लिए अवसर प्रदान करेगा ।क्षेत्र के विद्यार्थियों को परंपरागत शिक्षण के साथ ज्ञान विज्ञान आधारित कौशल विकास दक्षता मुल्क तथा रोजगार परक पाठ्यक्रमों में अध्ययन का अवसर प्रदान करेगा ।

नई राष्ट्रीय शिक्षानीति में भी स्थानीय एवं जनजातीय संस्कृति, लोक-परम्परा आदि के अनुशीलन को प्रोत्साहन दिया गया है। इसमें शास्त्र परम्परा और लोक परम्परा दोनों के संरक्षण पर बल दिया गया है। हमारा विश्वविद्यालय वेद-शास्त्र और भक्ति की लोकोन्मुखी परम्परा के माध्यम से लोक एवं शास्त्र के समन्वय तथा राष्ट्रीय एकता, अखण्डता और एकात्मता के भाव को विकसित करेगा ।

भक्ति परम्परा और वैदिक अध्ययन

  • भक्ति का स्थान सभी धर्म संप्रदायों में अत्यंत महत्वपूर्ण है जिसमें परमप्रेम अथवा आनन्दभाव के अंतर्गत सत्यनिष्ठा, सेवा, समर्पण, सहयोग, तप,त्याग, अहिंसा और करुणा आदि मानवीय मूल्यों की केंद्रीय भूमिका होती है । भक्ति जीवन का रूपान्तरण है। इस प्रभाग में मुख्यतः श्री वैष्णव परंपरा और शुद्धाद्वैत पुष्टिमार्गीय श्री वल्लभ वेदांत और उससे संबंधित दर्शन तथा परंपराओं पर विभिन्न पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे ।
  • महाप्रभु जी के व्यक्तित्व तथा भारतीय ज्ञान परंपरा और जीवन दर्शन के लिए उनके योगदान का अकादमिक अनुशीलन इस प्रभाग में किया जाएगा । महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी के साहित्य -गायत्रीभाष्य, मीमांसा कारिका, तत्त्वार्थदीप, सर्वनिर्णय प्रकरण, भागवतार्थनिर्णय और श्रीमद्भागवत की सुबोधिनी टीका, ब्रह्मसूत्र का अणुभाष्य, महाप्रभुजी का स्तोत्र साहित्य ग्रंथ -षोडशी आदि को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करते हुए पाठ्यचर्या निर्धारित की जाएगी ।
  • श्रीनाथ पीठ के अंतर्गतमहाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी कि 84 बैठकों की परंपरा में लिखे गए संस्कृत ब्रज और हिंदी भाषा के समग्र साहित्य का अनुशीलन यहां किया जा सकेगा ।
  • श्रीनाथ पीठ में भारतीय धर्म, दर्शन और भक्ति परंपरा के सबसे समृद्ध पुस्तकालय का विकास किया जाएगा । साथ ही यहां से वैष्णव पुष्टिमार्गीयव परंपरा का म्यूजियम बनाया जाएगा जिसमें वैष्णव धर्म दर्शन के साथ मेवाड़ की संस्कृति इतिहास कला साहित्य पुरातत्व आदि के भी दर्शनीय प्रारूप सज्जित किए जाएंगे ।
  • श्रीनाथ पीठ में वैष्णवपरम्परा में श्री रामानुजाचार्य, चैतन्य महाप्रभु, मध्वआचार्य, निंबार्काचार्य, रामानंदाचार्य आदि के भक्तितत्व विमर्श पर भी अकादमिक अनुष्ठान किए जाएंगे । यहाँ भक्ति के माध्यम से लोक कल्याण - आत्म कल्याण, शरणागति - प्रपत्ति और लोकमंगल के व्यवहारिक दृष्टिकोण को विकसित करने तथा अकादमिक विमर्श के लिए स्थान होना । ऋग्वेद से लेकर अद्यावधि पर्यन्त उपासना पद्धतियों के मर्म -प्राणतत्व भक्ति और उसके रहस्यवक्ता महर्षिनारद और महर्षिशाण्डिल्य आदि के विमर्श पर भी अकादमिक प्रवृत्ति का निर्माण किया जाएगा ।
  • भक्ति के आनुष्ठानिक स्वरूप तथा पाँचरात्र वैखानस आदि आगम शास्त्रों का अनुशीलन किया जाएगा । पंचदेवोपासना के शाक्त, शैव आदि प्रस्थान के भक्तितत्व का अनुशीलन श्रीनाथ पीठ में किया जाएगा ।
  • श्रीनाथ पीठ के विविध पाठ्यक्रम ऑनलाइन माध्यम से भी संचालित किए जाएंगे जिनके माध्यम से देश -दुनिया के भारतविद्यानुरागी लोग पुष्टिमार्ग, वेदांत ब्रह्मसूत्र, स्तोत्रवल्लरी, श्रीमद्भगवतगीता, श्रीमद् भागवत आदि भक्तिरसपीयूष पूरित पाठ्यग्रंथों का अकादमिक अनुशीलन कर सकेंगे ।
  • श्रीनाथ पीठश्री वल्लभ वेदांत के ज्ञान और भक्ति परंपरा पर आधारित शोध कार्यों को प्रोत्साहित करेगी ।
  • श्रीनाथ पीठ में भारतीय धर्म, दर्शन और ज्ञान परंपरा के मूल स्रोत वेदों के अध्ययन की भी सुविधा उपलब्ध रहेगी । जिनमें मुख्य रूप से चारों वेदों की सस्वर परंपरा शाखा-पाठ के संरक्षण पर भी प्रभावी कार्य किया जाएगा तथा चतुर्वेद पाठशाला का विकास किया जाएगा । श्रीनाथ पीठ की वेदाध्ययन परम्परा को विश्वविद्यालय के निम्बाहेडा स्थित विश्वविद्यालय श्री कल्लाजी परिसर के साथ संबंध कर आयोजना तैयार की जाएगी । वेदविद्या के संरक्षण के लिए श्री नाथद्वारा एक उपयुक्त भूमि सिद्ध होगी जहां श्रीनाथ पीठ के माध्यम से वेदों के लोकोपयोगी ज्ञान -विज्ञान को उद्घाटित और प्रकाशित किया जा सकेगा ।
  • श्रीनाथ पीठ में भारतीय धर्म, दर्शन और ज्ञान परंपरा के मूल स्रोत वेदों के अध्ययन की भी सुविधा उपलब्ध रहेगी । जिनमें मुख्य रूप से चारों वेदों की सस्वर परंपरा शाखा-पाठ के संरक्षण पर भी प्रभावी कार्य किया जाएगा तथा चतुर्वेद पाठशाला का विकास किया जाएगा । श्रीनाथ पीठ की वेदाध्ययन परम्परा को विश्वविद्यालय के निम्बाहेडा स्थित विश्वविद्यालय श्री कल्लाजी परिसर के साथ संबंध कर आयोजना तैयार की जाएगी । वेदविद्या के संरक्षण के लिए श्री नाथद्वारा एक उपयुक्त भूमि सिद्ध होगी जहां श्रीनाथ पीठ के माध्यम से वेदों के लोकोपयोगी ज्ञान -विज्ञान को उद्घाटित और प्रकाशित किया जा सकेगा ।

सर्टिफिकेट/डिप्लोमा कोर्स


धार्मिक पर्यटन

कर्मकांड पोरोहित्य

ज्योतिष/ वास्तु

मंदिर रबंधन

श्रीमदभगवद्गीता

श्रीमदभागवत

मोलेला क्ले आर्ट

श्रीनाथजी कीर्तन

नाथद्वारा चित्रकला शैली

संस्कृत भाषा

लोक परंपरा / लोक परंपराएं

  • इस प्रभाग में आदिवासी जनजातीय साहित्य, लोक-परंपरा और लोक-जीवन के अध्ययन - अध्यापन की अकादमिक पहल की जाएगी । लोक- परम्परा व साहित्य को पाठ्यक्रम में शामिल का किया जाएगा।
  • लोक परंपराओं से जुड़ाव के द्वारा छात्रों में अपने जनबोध, कालबोध और युगबोध का जागरण होता है। जल-जंगल-जमीन और उनके बीच मानवीय संस्कृति का मौलिक रूप की पहचान को प्रेरणा मिलती है। पर्वत, पठार, नदी, मैदान, खेत, खलिहान, वृक्ष, लता, वन- उपवन, गाँव, ढाणी, जोहड़- तालाब आदि अनेक प्राकृतिक रूप- रचनाओं और उनके आसपास रचे -बसे हमारे आदिवासी समाज तथा अन्य लोकजीवन और उसके बोध का अकादमिक अनुशीलन होगा ।
  • काल -गणना, मौसम के पूर्वानुमान, जड़ी-बूटियाँ, जन-जीवन, लोक-परंपरा और लोकजीवन के अध्ययन में छात्र विराट प्रकृति और मनुष्य के पवित्र अंतर्सबंधों को समझेंगे।
  • सतत विकास के लिए, वर्तमान चुनौतियों के संदर्भ में प्रकृति के प्रति हमारी समझ या विवेक की निर्णायक भूमिका होती है। लोकजीवन का अध्ययन इस विवेक को जाग्रत करने में सहयोगी होगा।
  • संस्कृति और परंपरा के अकादमिक अनुशीलन के माध्यम से यहां की वाचिक-परंपरा, लिखित-परंपरा, चित्रकला, नृत्य-अभिनय आदि विभिन्न कलागत प्रतिरूपों के संरक्षण में भी सहयोग प्राप्त होगा।
  • नाथद्वारा की सांझी और चित्रकला शैली के साथ मोलेला की मिट्टी कला अपने आप में विश्व विख्यात है जिसका अकादमिक पाठ्यक्रम बनाकर अध्यापन कराया जाएगा ।
  • नाथद्वारा की संगीत शैली - वैष्णव कीर्तन परम्परा से जुड़े पाठ्यक्रम भी संचालित होंगे । उपर्युक्त संदर्भों में रोजगार मूलक पाठ्यक्रम डिजाईन कर संचालित किए जाएँगे ।

अवसंरचना

श्रीनाथजी पीठ सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के आधारभूत संरचनात्मक विकास चरणबद्ध रूप से किए जाएंगे जिनमें श्री वैष्णव परंपरा के आस्थावान लोगों के जन सहयोग से यह कार्य किया जाएगा । परिसर में निम्नलिखित संरचना विकसित होंगी -

प्रशासनिक भवन

अकादमिक भवन

विशाल सभागार

म्यूजियम

पुस्तकालय

स्टूडियो

अतिथि ग्रह, कोटेजेज

आवासीय परिसर

पुष्पवाटिका, उद्यान तथा जलाशय